भूख हड़ताल के तीसरे दिन गरम रोला मज़दूरों की
शानदार जीतः मालिकों ने समझौते पर शब्दशः अमल का लिखित वायदा किया
समझौते पर अमल के लिए कारखाने के मज़दूरों ने
कारखाना समितियों का गठन किया
गरम रोला मज़दूरों के संघर्ष को आज ठीक एक माह
पूरे हुए और साथ ही उनकी क्रमिक भूख हड़ताल का तीसरा दिन भी था। आज ही ‘गरम
रोला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में गरम रोला मज़दूरों ने अपनी तीसरी जीत
दर्ज़ की। जैसा कि आपको पता है कि 27 और 28 जून को मज़दूरों
के 22 दिनों की हड़ताल के बाद मालिकों को उप श्रमायुक्त के समक्ष मज़दूरों
को सभी श्रम अधिकार देने का लिखित समझौता करना पड़ा था। लेकिन अगले दिन ही वे इस
समझौते को लागू करने में आना-कानी करने लगे थे। नतीजतन, मज़दूरों का
आन्दोलन जारी रहा। मज़दूर 4 जुलाई तक रोज़ कारखाने के गेट पर जाते
थे। जब मालिकों ने कारखाने समझौते को लागू करने के लिए नहीं खोले तो फिर मज़दूरों
ने गेटों पर कब्ज़ा भी किया। इसी बीच पुलिस ने दो बार ‘गरम रोला मज़दूर
एकता समिति’ और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ के
साथियों को गिरफ्तार भी किया और मालिकों ने गुण्डों से हमला भी करवाया लेकिन इसके
बावजूद मज़दूरों ने अपने साथियों को पुलिस की हिरासत से भी छुड़ा लिया और साथ ही
गुण्डों का भी मुँहतोड़ जवाब दिया। 5 जुलाई से मज़दूरों ने वज़ीरपुर के राजा
पार्क में क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत की। हर दिन के साथ मज़दूरों की गोलबन्दी बढ़
रही थी और तमाम मालिकान अपने कारखानों को चलाने में असफल सिद्ध हो रहे थे। आज श्रम
विभाग में मालिकों को श्रम विभाग द्वारा जारी किये गये ‘कारण बताओ नोटिस’
का
जवाब देना था। ‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ का
प्रतिनिधि मण्डल भी श्रम विभाग पहुँचा था, जिसकी अगुवाई शिवानी, सनी
और रघुराज कर रहे थे। वार्ता में मालिकों ओर से आए वकीलों ने लिखित तौर पर वायदा
किया कि अब से मज़दूरों को कारखानों में 12 घण्टे काम करने के लिए बाध्य नहीं
किया जायेगा और सभी मालिक समझौते का सम्मान करेंगे। इसके बाद ‘गरम
रोला मज़दूर एकता समिति’ का प्रतिनिधि मण्डल वापस लौटा और उन्होंने आज
भूख हड़ताल पर बैठे साथियों की भूख हड़ताल तोड़ी और विजय का एलान किया।
‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ की
कानूनी सलाहकार और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ की शिवानी ने
बताया कि इस समझौते को लागू करवाने के लिए आज सभी कारखानों के मज़दूरों की कारखाना
समितियाँ बनायीं गयीं हैं और उनके प्रधान नियुक्त किये गये हैं। ये कारखाना
समितियाँ अपने प्रधानों की अगुवाई में यह सुनिश्चित करेंगी कि मज़दूर सुबह 9
बजे काम पर जायेंगे और फिर 6 बजे काम से लौट आयेंगे। इन 9
घण्टों में 30 मिनट का खाने का ब्रेक, दो 15
मिनट के टी ब्रेक मिलेंगे और हर 30 मिनट के काम के बाद 30
मिनट का रिलीफ मिलेगा। शिवानी ने कहा कि इस समझौते को लागू करने के मालिकों के
लिखित आश्वासन पर मज़दूर यक़ीन नहीं करते और इसीलिए कल यानी कि 8
जुलाई को कारखानों के खुलने के समय पर लेबर इंस्पेक्टर और फैक्टरी इंस्पेक्टर
वज़ीरपुर इण्डस्ट्रियल एरिया में मौजूद रहेंगे; ये इंस्पेक्टर
शाम को 6 बजे भी मौजूद रहेंगे जिस समय मज़दूर कारखानों से बाहर निकलेंगे। अगर
किसी कारखाने में मज़दूरों को रोकने की कोशिश की गयी तो मज़दूरों की कारखाना समिति
के प्रधान तत्काल पुलिस को 100 नम्बर पर और साथ ही लेबर इंस्पेक्टर,
फैक्टरी
इंस्पेक्टर और यूनियन के नेतृत्वकारी समिति के सदस्य शिवानी, सनी
या रघुराज को फोन करेंगे। मज़दूरों को उप श्रमायुक्त और संयुक्त श्रम आयुक्त के फोन
नम्बर पर दे दिये गये हैं। कल अगर कोई भी मालिक समझौते को लागू करने में आनाकानी
करता है तो उस पर तुरन्त ही कार्रवाई की जायेगी।
समिति के सदस्य सनी ने बताया कि आने वाले कुछ
दिनों में समझौते को पूरी तरह लागू कर दिया जायेगा। मज़दूर किसी भी किस्म से पीछे
हटने को तैयार नहीं हैं। इस लड़ाई में ठण्डा रोला के मज़दूरों ने अपने गरम रोला के
साथियों के साथ पूरे जोश के साथ भाग लिया। इस हड़ताल के दौरान ही ठण्डा रोला के
मज़दूरों ने भी अपनी समिति बनाने का निर्णय लिया है और ‘गरम रोला मज़दूर
एकता समिति’ के नेतृत्वकारी समिति इसमें उनकी मदद कर रहे
हैं। आज की सभा में आये ठण्डा रोला के मज़दूरों ने निर्णय किया कि गरम रोला मज़दूरों
द्वारा लागू करवाये गये समझौते को ही वे ठण्डा रोला कारखानों में भी लागू
करवाएँगे।
वज़ीरपुर मज़दूर आन्दोलन को इस एक माह में कई
उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं। सबसे पहले इस आन्दोलन ने ‘इंक़लाबी मज़दूर
केन्द्र’ के दलालों और ग़द्दारों को आन्दोलन में से खदेड़कर बाहर किया। पहले 20
जून और फिर 29 जून को इन दलालों को मज़दूरों ने वज़ीरपुर से
बाहर कर दिया। इसके बावजूद इन दलालों ने आन्दोलन के बारे में ऐसे प्रचार जारी रखे
जिन पर सिर्फ हँसा जा सकता है। इन दलालों ने दावा किया कि मज़दूर थक गये हैं और
शर्मनाक समझौते का इन्तज़ार कर रहे हैं; फिर इन्होंने 27 और 28
जून के समझौते को “शर्मनाक
समझौता” कहा; जब इस समझौते की कॉपी को गरम रोला ब्लॉग पर डाल
दिया गया तो फिर उन्हें अपनी बात बदल ली और इस समझौते को “भ्रामक” बताने लगे। इसके
बाद भी मज़दूरों ने अपने संघर्ष को जारी रखकर और एक के बाद एक जीतें हासिल करके इन
दलालों के मुँह पर तमाचे ही लगाये हैं।
इस आन्दोलन की दूसरी बड़ी उपलब्धि थी हड़ताली
मज़दूरों की सहायता के लिए सामुदायिक रसोई की शुरुआत। साथ ही, मज़दूरों
ने कारखाना गेटों पर कब्ज़ा करने का भी शानदार प्रयोग किया। आन्दोलन ने पुलिस दमन
और गुण्डों के हमलों का ज़बर्दस्त मुकाबला किया और एक घटना में अपने नेताओं की गिरफ्तारी
को रोकने के लिए सैंकड़ों मज़दूर पुलिस वैन के सामने लेट गये। इस आन्दोलन का एक
विस्तृत मूल्यांकन आगे हम ब्लॉग पर देंगे।
आज की जीत आन्दोलन की समाप्ति नहीं है। पहले तो
आज के समझौते को कारखाना समितियों द्वारा शब्दशः लागू करवाया जायेगा और बाद में
अन्य श्रम कानूनों जैसे कि सुरक्षा प्रावधानों को लागू करने की लड़ाई को भी लड़ा
जायेगा। साथ ही, ठण्डा रोला और गरम रोला मज़दूरों की एक यूनियन
बनायी जायेगी जिसका प्रस्तावित नाम ‘वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन’ है।
इस यूनियन के पंजीकरण की प्रक्रिया जुलाई में ही शुरू कर दी जायेगी।
संघर्ष ज़िन्दाबाद!
मज़दूर एकता ज़िन्दाबाद!
इंक़लाब ज़िन्दाबाद!
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