Sunday, 29 June 2014

Hot Rolling Steel workers' movement reached a new turning point

The occupation of factory gates begins under the leadership of Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti
Hot Rolling Steel workers' movement reached a new turning point
The workers prepare for a huge Mazdoor Satyagrah despite the suspicion of police repression


June 29, As is known, after the strike of hot rolling steel workers at Wazirpur which lasted from 6 June to 27 June, the owners were forced to compromise when they agreed on all the conditions. But they turned their face from the agreement the very next day after which the workers jammed the factory gates. Subsequently after a 8-hour long negotiation the owners once again agreed on all conditions yesterday (28 June) and assured to start the factories and follow all the labour laws. But on 29 June, the owners are once again dilly-dallying.

Consequently, the workers under the leadership of 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti' have begun to close the factory gates and put their locks on them. Even the women and children of the workers' family are assembling in thousands at the factory gates and are preparing for 'Mazdoor Satyagrah'. The Samiti had warned yesterday itself that in case the owners refuse to run the factory in compliance with the agreement they would not have any right to have occupancy over the factory. At the same time, due to this mistake of the owners even the labour department does not have any right to seal because the workers should not be punished for the fault of owners. Under this circumstance, the workers do not have any other way out except for occupying the factories.  As of now the workers are not occupying the factories but are occupying the factory-gates instead. But if the owners still fail to comply, the workers will run the factories by occupying it. Sunny from 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti' said that the Factory Law 1948 only terms the owners and their representatives as merely occupier and it is obligatory for the occupier to follow the labour laws and factory laws. Under such a circumstance if the occupier fails to follow these laws and if the government also does not run it by taking it over, it becomes the constitutional and moral right of the workers that they run the factories. Insofar as the ownership rights are concerned the workers will give the owners the dividend as per the law. But the workers cannot be punished by the government and labour department for the fault of owners.

Raghuraj from 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti' told that the owners must make a note that they can no longer intimidate the workers with the threat of lockout. The workers of Wazirpur have arisen and if the owners fail to wake up the relevance of their parasite class will be wiped out from this industrial region. Shivani, the legal consultant of the Samiti told that the owners are playing the game of letting the workers wait and owing to the rumours being spread by the brokers of 'Inqalabi Mazdoor Kendra' they hope that workers will break because of wait. But the workers are taking their movement to greater heights with even greater enthusiasm. Shivani told that so long as the owners do not run the factories and so long as the government is not prepared for a takeover, the factories must be handed over to the committee of workers under their management. Shutting down the factories is no alternative and the workers will not allow it to happen.
With Revolutionary Greetings,

Waiting for your cooperation,
Raghuraj, Sunny Singh (Members, Leading Committee, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti)
Shivani (Legal Consultant, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti)

Raghuraj - 9211532753, Sunny - 9873358124

Saturday, 28 June 2014

‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में कारखाना गेटों पर कब्ज़ा शुरू

गरम रोला मज़दूर आन्दोलन नये पड़ाव पर, पुलिसिया दमन की आशंका के बावजूद मज़दूरों ने विशाल मज़दूर सत्याग्रह की तैयारी की
गरम रोला मज़दूर एकता समितिके नेतृत्व में कारखाना गेटों पर कब्ज़ा शुरू
29 जून- ज्ञात हो कि 6 जून से 27 जून तक चली वज़ीरपुर गरम रोला मज़दूरों की हड़ताल के बाद मालिकों ने 27 जून की शाम को सारी शर्तें मानते हुए समझौता किया। लेकिन अगले दिन ही वे इस समझौते से मुकर गये और फिर मज़दूरों ने कारखाना गेटों को जाम कर दिया। इसके बाद एक 8 घण्टे लम्बी चली वार्ता के बाद कल यानी कि 28 जून को मालिक फिर से सभी शर्तों को मान गये और 29 जून की सुबह से कारखाने चालू करने का और सभी श्रम कानूनों को मानने का आश्वासन दिया। लेकिन 29 जून को मालिक एक बार फिर से आना-कानी कर रहे हैं।
नतीजतन, ‘गरम रोला मज़दूर एकता समितिके नेतृत्व में मज़दूरों ने कारखानों के गेटों को बन्द कर उस पर अपना ताला लगाना शुरू कर दिया है। मज़दूरों के घरों की औरतें और बच्चे भी हज़ारों की संख्या में कारखाना गेटों पर एकत्र हो रहे हैं और मज़दूर सत्याग्रहकी तैयारी कर रहे हैं। समिति ने कल ही एलान किया था कि अगर मालिक कानूनी समझौते को मानने से और श्रम कानूनों का पालन करते हुए कारखाने चलाने से इंकार करते हैं, तो उन्हें कारखाने पर कब्ज़े का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही मालिकों की इस ग़लती के कारण श्रम विभाग को भी तालाबन्दी करने का कोई हक़ नहीं है क्योंकि मालिकों की ग़लती की सज़ा मज़दूरों को नहीं मिलनी चाहिए। ऐसे में, मज़दूरों के पास स्वयं कारखानों पर कब्ज़ा करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है। फिलहाल मज़दूर कारखानों पर कब्ज़ा नहीं कर रहे हैं, बल्कि गेटों पर कब्ज़ा कर रहे हैं। लेकिन अगर मालिक अब भी नहीं माने तो मज़दूर कारखानों पर कब्ज़ा करके कारखाने चलाएँगे। गरम रोला मज़दूर एकता समितिके सनी ने बताया कि कारखाना अधिनियम, 1948 में मालिकों या उसके प्रतिनिधि को केवल ऑक्युपायरकहा गया है और इस ऑक्युपायरके लिए श्रम कानूनों और कारखाना कानूनों का पालन करना बाध्यताकारी है। ऐसे में, यदि ऑक्युपायरये कानून नहीं लागू करता और सरकार भी इन कारखानों को टेक-ओवर करके नहीं चलाती तो यह मज़दूरों का संवैधानिक और नैतिक अधिकार बनता है कि वे कारखानों को चलायें। जहाँ तक मालिकाने हक़ की बात रही तो मज़दूर मालिकों को कानूनी रूप से तय लाभांश भी दे देंगे। लेकिन मालिकों की ग़लती की वजह से सरकार और श्रम विभाग मज़दूरों को दण्डित नहीं कर सकते।

गरम रोला मज़दूर एकता समितिके रघुराज ने बताया कि मालिकों को यह समझ लेना चाहिए कि वे अब मज़दूरों को लॉकआउट की धमकी से नहीं डरा सकते हैं। वज़ीरपुर का मज़दूर जाग गया है और अगर मालिक चेतते नहीं तो फिर उनके परजीवी वर्ग की इस औद्योगिक क्षेत्र में प्रासंगिकता को समाप्त कर दिया जायेगा। समिति की कानूनी सलाहकार शिवानी ने बताया कि मालिक इन्तज़ार कराने का खेल खेल रहे हैं और 20 जून को हड़ताल से भगाये गये इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके दलालों की अफवाहों से उन्हें यह उम्मीद बँधी है कि मज़दूर इन्तज़ार से टूट जायेंगे। लेकिन मज़दूर अपने आन्दोलन को और अधिक उत्साह और साहस के साथ एक नयी ऊँचाई तक ले जा रहे हैं। शिवानी ने कहा कि जब तक मालिक श्रम कानूनों का पालन करते हुए कारखाने नहीं चलाते और जब तक सरकार टेक-ओवरकरने को तैयार नहीं है, तब तक कारखानों को मज़दूरों की समिति को सौंप दिया जाना चाहिए और मज़दूर प्रबन्धन के हवाले कर दिया जाना चाहिए। कारखानों को बन्द करना कोई विकल्प नहीं है और मज़दूर ऐसा कभी नहीं होने देंगे।

क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ,
आपके सहयोग के इन्तज़ार में,
रघुराजसनी
(सदस्यलीडिंग कोर)

गरम रोला मज़दूर एकता समिति
ईमेल - garamrollamazdoor@gmail.com
रघुराज - 9211532753, सनी - 9873358124

आन्दोलन के दलालों की चालें और मालिकों के मंसूबों पर गरम रोला मज़दूरों ने फिर से पानी फेरा

आन्दोलन के दलालों की चालें और मालिकों के मंसूबों पर गरम रोला मज़दूरों ने फिर से पानी फेरा
गरम रोला मज़दूर एकता समिति की एक और साहसिक जीत

ज्ञात हो कि 22 दिनों की हड़ताल के बाद कल (27 जून) को वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के मालिकों ने गरम रोला मज़दूर एकता समितिके समक्ष समर्पण कर दिया। लेकिन आज सुबह मालिक उस सरकारी समझौते को लागू करने में आनाकानी करने लगे और कारखानों में मज़दूरों को घुसने से रोकने लगे। इसके बाद गरम रोला मज़दूर समितिके नेतृत्व में अलग-अलग कारखानों के मज़दूरों ने कारखानों के गेट को जाम कर दिया और श्रम विभाग से सम्पर्क किया। थोड़ी ही देर में उप श्रमायुक्त कुछ श्रम निरीक्षकों के साथ स्वयं घटना स्थल पर पहुँच गये। इसके बाद एक मालिक के कारखाने में त्रिपक्षीय वार्ता दोपहर 1 बजे शुरू हुई जिसमें श्रम विभाग के अधिकारियों ने मालिकों को स्पष्ट बता दिया कि अगर मालिक कानूनी तौर पर कारखाने नहीं चला सकते और श्रम कानूनों को लागू नहीं कर सकते तो उनके कारखानों पर ताले लगा दिये जायेंगे। मालिक इस बात पर अड़े हुए थे कि 8 घण्टे का कार्यदिवस में मज़दूरों को भट्ठी के समक्ष लगातार बिना रुके काम करना होगा। सभी जानते हैं कि यह असम्भव है। हर 30-40 मिनट पर ब्रेक लिये बग़ैर मज़दूर उस तापमान पर काम करेगा तो उसकी मौत भी हो सकती है। ऐसे में, ‘गरम रोला मज़दूर एकता समितिने यह चुनौती रखी कि अगर मालिक मज़दूरों को पूरे सुरक्षा के इन्तज़ामात और गियर मुहैया कराये, तो मज़दूर 8 घण्टे लगातार कार्य करने को तैयार हैं। 1 बजे शुरू हुई वार्ता रात के साढ़े आठ बजे तक चलती रही। जब मज़दूरों का प्रतिनिधि-मण्डल नहीं झुका तो अन्ततः मालिकों ने फिर से उप श्रमायुक्त के समक्ष सारी शर्तों को फिर से मानते हुए हस्ताक्षर किये और कल से कारखाने चलाने का आश्वासन दिया। निश्चित तौर पर अभी भी यह वक़्त बतायेगा कि ये मालिक इस कानूनी समझौते पर अमल करते हैं या नहीं।
वास्तव में, आज मालिकों के पलटी खाने के पीछे भी एक अन्तःकथा है। कल मालिकों के बीच भय का माहौल था और उन्होंने ज़्यादा अड़े बग़ैर समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया था। लेकिन मालिकों के करीब मौजूद और मज़दूरों से हमदर्दी रखने वाले कुछ सफेद कॉलर कर्मचारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके जिन भगोड़ों को आप लोगों ने अपने आन्दोलन से 20 जून को मार भगाया था, उनके द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि मज़दूर भीतर से कमज़ोर हो गये हैं और किसी “शर्मनाक समझौते” का इन्तज़ार कर रहे हैं। यह प्रचार मालिकों और उनके गुर्गों के पास भी पहुँचा है और ऐसा भी सम्भव है कि आन्दोलन के भगोड़ों ने स्वयं मालिकों के चमचों को यह अफवाह पहुँचायी हो कि मज़दूर कमज़ोर पड़ रहे हैं। ऐसे में, मालिकों के बीच यह राय बनी कि वे 27 जून को बेवजह झुक गये और अगर वे मज़दूरों को और इन्तज़ार करवाते तो फिर मज़दूर स्वयं टूट सकते थे। यही कारण था कि आज मालिकों ने पलटी खायी और समझौते से मुकर गये। उन्हें उम्मीद थी कि इन्तज़ार करवाने से मज़दूर आज ही टूट जायेंगे। लेकिन मालिकों और भगोड़ों की यह चाल आज भी कामयाब नहीं हो सकी। मालिकों ने जानबूझकर वार्ता को 8 घण्टे तक चलाया ताकि मज़दूर थककर समझौता कर लें। लेकिन बीतते वक़्त के साथ मज़दूरों का उत्साह और भी बढ़ता गया और रात 8 बजे तक उनके बीच यह प्रस्ताव पास हो गया कि अगर मालिक कानूनों का पालन करते हुए कारखाने नहीं चला सकता तो हम कारखानों पर कब्ज़ा करके कारखानों को स्वयं चलायेंगे और सरकार से माँग करेंगे कि वह इन कारखानों को टेक-ओवरकरे, विनियमित करे और स्वयं कानूनी तौर पर चलाये। मज़दूरों का यह पैग़ाम 8 बजे ही मालिकों के पास वार्ता में पहुँचा दिया गया और फिर कुछ समय में ही मालिक फिर से सभी शर्तों पर राज़ी हो गये। गरम रोला मज़दूर एकता समितिने एक बार फिर से इन भगोड़ों की चालों को और मालिकों के मंसूबों का नाकामयाब करते हुए अपनी फौलादी एकजुटता को ज़ाहिर कर दिया है।
गरम रोला मज़दूर एकता समितिकी नेतृत्वकारी समिति के रघुराज ने बताया कि मज़दूर पूर्णतः कानूनों को लागू करवाने के पक्षधर हैं और यह मालिकों की कैसी अन्धेरगर्दी है कि वे खुलेआम यह कह रहे हैं कि वे श्रम कानूनों को नहीं लागू करेंगे। मज़दूरों ने भी यह ठान लिया है कि वज़ीरपुर के गरम रोला कारखाने चलेंगे और कानूनी तौर पर चलेंगे, चाहें उन्हें मालिक चलायें, सरकार चलाये या फिर स्वयं मज़दूर चलायें। समिति की कानूनी सलाहकार शिवानी जिन्होंने आज मज़दूर प्रतिनिधि मण्डल की अगुवाई की, ने कहा कि मज़दूर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। शिवानी ने बताया कि कारखाना अधिनियम, 1948 नियोक्ता को कब्ज़ाकर्ता’ (ऑक्युपायर ऑफ दि फैक्टरी) बोलता है और कब्ज़ाकर्ताके तौर पर मालिकों की यह ज़ि‍म्मेदारी होती है कि वे सभी कारखाना व श्रम अधिनियमों को लागू करें। यदि कब्ज़ाकर्ताऐसा करने में असफल रहता है तो क्या कारखाने का प्रबन्धन मालिकों के हाथ से ले नहीं लिया जाना चाहिए? क्या उसे मज़दूरों के हाथों में नहीं सौंप दिया जाना चाहिए? या फिर सरकार को ऐसे उद्योगों का राष्ट्रीकरण नहीं कर देना चाहिए? अगर मज़दूर स्वयं कब्ज़ा लेने या फिर सरकार द्वारा कब्ज़ा लिये जाने की माँग उठाते हैं तो वह कानूनन भी ग़लत नहीं है। नेतृत्वकारी समिति के सदस्य सनी ने कहा कि मज़दूरों के बीच गरम रोला मज़दूर एकता समितिनिरन्तर इन कानूनी दावपेचों के प्रति जागरूकता पैदा कर रही है। मज़दूर स्वयं यह कह रहे हैं कि अगर कारखाना उन्हें दिया जाये तो वे उसे ज़्यादा अच्छी तरह से चला सकते हैं और वह भी सभी अधिनियमों का पालन करते हुए। ऐसे में, यदि कल मालिक फिर से समझौते से मुकरते हैं तो मज़दूर गेट ऑक्युपाई करने के मध्यवर्ती कदम से शुरुआत करेंगे और श्रम विभाग और सरकार तक अपनी बात पहुँचाएँगे। उसके बाद ज़रूरत पड़ने पर कारखानों पर कब्ज़ा करने का आन्दोलन शुरू किया जायेगा। सनी ने कहा कि मालिक अभी चेत जायें और सभी श्रम कानूनों का पालन करते हुए कारखानों को चलायें अन्यथा कल उनके जैसे ग़ैर-ज़रूरी वर्ग के लिए वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में कोई जगह नहीं बचेगी।

अन्त में, मज़दूरों ने कहा कि कल या तो समझौता पूर्णतः लागू किया जायेगा या फिर 27 जून तक चली हड़ताल की अब कारखाना कब्ज़ा करोआन्दोलन के रूप में पुनः शुरुआत की जायेगी।

Friday, 27 June 2014

गरम रोला मज़दूरों व मालिकों के बीच समझौते की स्‍कैन कॉपी। मालिकों ने सभी श्रम कानुनों को लागु करना स्‍वीकार किया

गरम रोला मज़दूरों व मालिकों के बीच समझौते की स्‍कैन कॉपी। मालिकों ने सभी श्रम कानुनों को लागु करना स्‍वीकार किया।


Historic Victory of Steel Workers of Wazirpur!


Historic Victory of Steel Workers of Wazirpur!


Victory parade
As is known, the steel workers of Wazirpur have been on strike since June 6, under the leadership of 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti'. Today, in the negotiation in Deputy Labour Commissioner's Office, the owners of all plants gave in to the demands of workers and accepted to implement the 8-hour workday, double rate overtime, minimum wages, ESI, PF for the workers of Wazirpur. It is a huge victory for the workers as it was not an informal negotiation for some wage increment; almost all the basic labour laws have been enforced in this negotiation.
Sunny, member, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti, told that it is a huge step, but it is only a beginning. Now the new task is to enforce the implementation of today's agreement and not to allow any owner to flout these labour laws anymore. Raghuraj, member, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti, said that the Deputy Labour Commissioner has assured that officials from the labour department will go on surprise inspections throughout the month to ensure the implementation of 8-hour workday and also will be present on the day of payment of wages to ensure that minimum wages are being given. Shivani, legal consultant of the Samiti and an activist of 'Bigul Mazdoor Dasta' said that in the context of hopelessness and reversal in the workers' movement, this victory holds immense importance. The labour laws had become a laughing stock among the owners and management. However, the steel workers of Wazirpur have shown that if we prevent agent unions of electoral parties, NGOs and funding agencies from entering in the workers' movement, the workers' themselves can lead their movement to victory, provided it is guided by correct political ideas. And 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti' has achieved precisely this objective. Navin, secretary, Delhi Kamgar Union argued that it was the resilience of the steel workers under a correct political leadership, that ultimately led to this historic victory. He said that the community kitchen run by the striking workers with the support from workers from different parts of the country showed that if workers' movement transcends the narrow boundaries of factory and occupation and a working class unity across the lines of occupation, region, etc is forged, the workers' struggles can definitely be won. The steel workers of Wazirpur have shown the way and now all workers of all areas and occupation need to follow this path.
With Revolutionary Greetings,
Raghuraj, Sunny Singh (Members, Leading Committee, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti)
Shivani (Legal Consultant, Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti)

Some photos and videos of victory parade

गरम रोला मज़दूरों के आन्‍दोलन की ऐतिहासिक जीत


गरम रोला मज़दूरों के आन्‍दोलन की ऐतिहासिक जीत

विजय जुलुस
गौरतलब है कि पिछले 22 दिनों से दिल्‍ली के वजीरपुर इलाके के गर्म रोला मज़दूर अपनी संवैधानिक कानुनी मांगो को लागु करवाने के लिए हड़ताल पर थे। इस बीच मालिकों ने अलग अलग तरीके से हड़ताली मज़दूरों को तोड़ने की कोशिश की। मजदूर नेताओं को झूठे आरोपो में गिरफ्तार करवाने की कोशिशों से लेकर हड़ताल को लम्‍बा खीचकर मज़दूरों को भूख से तोड़ देने जैसे अनेक तरीके अपनाये। पर मज़दूरों द्वारा इसका संगठित प्रतिरोध, हड़ताल के दौरान सामुदायिक रसोई चलाना आदि ऐसे हथियार साबित हुए जिसके सामने मालिकों को झुकना पड़ा।  

आज नीमड़ी कॉलोनी के श्रम विभाग में हुई वार्ता में सभी 23 कारखानों के मालिकों ने लिखित समझौते में सभी श्रम कानुन लागु करने स्‍वीकार किया। 8 घंटे का कार्यदिवस, ऑवरटाइम का दुगुनी दर से भुगतान, ईएसआई, पीएफ की सुविधा जैसे सभी कानुनों के ऊपर उन्‍होने लिखित हामी भरी। यह अपने आप में एक बड़ी जीत है क्‍योंकि ये सिर्फ वेतन वृद्धि का समझौता नहीं बल्कि सभी श्रम कानुनों को लागु करने का समझौता है।  

गरम रोला मज़दूर एकता समिति के सनी ने कहा कि यह एक बड़ी जीत है पर अभी यह एक शुरूआत है। इस समझौते को लागु करवाना भी हमारे लिए एक बड़ी लड़ाई होगी। हमें कोशिश करनी होगी कि कोई भी मालिक इन श्रम कानुनों का उल्‍लंघन ना कर पाये।  

गरम रोला मज़दूर एकता समिति के ही रघुराज ने बताया कि उप श्रमायुक्‍त ने वायदा किया है कि वो सभी कारखानों का आकस्मिक दौरा करेंगे व वेतन वितरण के दिन कारखाने में अपने किसी अधिकारी को भेजेंगे ताकि जितने वेतन का वादा किया गया है वो सभी मज़दूरों को मिल सके। समिति की कानुनी सलाहकार व बिगुल मज़दूर दस्‍ता की कार्यकर्ता शिवानी ने कहा कि मज़दूर आन्‍दोलनों के लिए विपर्यय व निराशा के इस दौर में यह जीत बहुत मायने रखती है। मालिकों व प्रबन्‍धन के लिए श्रम कानुन अब एक मजाक बनकर रह गये हैं पर गरम रोला के मज़दूरों ने दिखा दिया है कि अगर हम चुनावबाज राजनीतिक पार्टियों, एनजीओं, फण्डिग एजेंसियों की युनियनों को मज़दूर आन्‍दोलनों में घुसपैठ से रोक सकें तो मज़दूर अपने आन्‍दोलन को खुद नेतृत्‍व दे सकते हैं बशर्ते कि वो एक सही राजनीति लाइन के मातहत हों। गरम रोला मज़दूरों ने यह करके दिखाया है।  
दिल्‍ली मज़दूर यूनियन के सचिव नवीन ने कहा कि मज़दूरों की इसी जुझारू एकजुटता ने एक सही राजनीतिक लाइन के मातहत ये सम्‍भव कर दिखाया है। उन्‍होने ये भी कहा कि पूरे देशभर के इंसाफपसन्‍द नागरिकों, आसपास के मज़दूरों आदि के सहयोग से चलाई जा रही सामुदायिक रसोई ने ये दिखला दिया कि अगर हम फैक्‍टरी, पेशे आदि की संकीर्ण दीवारों को तोड़कर वर्गीय आधार पर एकजुट हो जायेंगे तो मज़दूर संघर्ष जीते जा सकते हैं। गरम रोला मज़दूरों ने हमें यह राह दिखाई और अब बाकी मज़दूरों को भी इस राह पर चलना चाहिए।  
इंकलाबी अभिवादन के साथ
रघुराज, सनी (सदस्य, नेतृत्वकारी समिति, गरम रोला मज़दूर एकता समिति)
शिवानी (कानूनी सलाहकार, गरम रोला मज़दूर एकता समिति)
रघुराज - 9211532753, सनी - 9873358124

विजय जुलुस की कुछ तस्‍वीरें व वीडियो

मज़दूर आन्दोलन में घुसे ‘इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र’ के दलालों से सावधान!


मज़दूर आन्दोलन में घुसे इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके दलालों से सावधान!

वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों के सामने बेनक़ाब होने और खदेड़े जाने के बाद इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रका निकृष्ट कुत्साप्रचार अभियान
साथियो!
मज़दूर आन्दोलन अक्सर अपनी मालिकों की मज़बूती की वजह से नहीं बल्कि अपने भीतर मौजूद भितरघातियों और ग़द्दारों के कारण हारता है। मज़दूर आन्दोलन के भीतर मालिकों का वर्ग हमेशा ही अपने दलाल पैदा करने का प्रयास करता है और मज़दूर आन्दोलनों के दौरान ऐसे प्रयास और भी तेज़ हो जाते हैं। ऐसा ही एक प्रयास वज़ीरपुर के गरम रोला के मज़दूरों के आन्दोलन के भीतर भी मालिकों और ठेकेदारों ने किया जिसे कि मज़दूरों ने अपनी उन्नत राजनीतिक चेतना के बूते पर कुचल दिया। इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रनाम का एक संगठन वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों के आन्दोलन के भीतर मालिकों के एजेण्ट के तौर पर 6 जून को हड़ताल शुरू होने के बाद ही घुसने का प्रयास कर रहा था। हाल ही में 6 जून को गरम रोला मज़दूरों ने अपनी शानदार हड़ताल की शुरुआत की जो कि आज 22वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस दौरान मज़दूरों ने अपनी सामुदायिक रसोई चलाकर और दिल्ली के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के मज़दूरों के साथ एकजुटता स्थापित करके बेजोड़ प्रयोग किये हैं। जब से हड़ताल शुरू हुई तभी से इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र का मुन्ना प्रसाद (जो कि एक पुराना दलाल है और पिछले वर्ष गरम रोला मज़दूरों के यूनियन-सम्बन्धी व अन्य कानूनी कागज़ात गरम रोला मज़दूर एकता समिति के दफ्तर से चुराकर भाग गया था), हरीश (जो कि भ्रष्ट लेबर इंस्पेक्टरों से साँठ-गाँठ कर मज़दूरों के संघर्ष को तोड़ने की साज़ि‍श कर रहा था), कमलेश (जिसे एक दिन गरम रोला मज़दूरों ने ही दौड़ा लिया था) और नगेन्द्र लगातार मज़दूरों के आन्दोलन में सक्रिय बिगुल मज़दूर दस्ताके राजनीतिक कार्यकर्ताओं शिवानी, दिल्ली कामगार यूनियन के नवीन, करावलनगर मज़दूर यूनियन के योगेश, और गरम रोला मज़दूर एकता समिति की नेतृत्वकारी कमेटी के सदस्य रघुराज, सनी, बाबूराम आदि के प्रति घटिया स्तर का कुत्साप्रचार कर रहे थे। इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र की दलाली का आलम यह था कि इसके कार्यकर्ता एक ब्लॉक के मज़दूरों को अन्य ब्लॉक के मज़दूरों से लगातार लड़ाने और फूट डालकर हड़ताल तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। गरम रोला मज़दूर एकता समितिके रघुराज और सनी द्वारा इन्हें बार-बार चेतावनी दी गयी लेकिन वे अपनी हरक़तों से बाज़ नहीं आ रहे थे। लेकिन उनकी पूरी दलाली तब सामने आयी जब पता चला कि इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के ये दलाल श्रम विभाग के कुछ भ्रष्ट लेबर इंस्पेक्टरों की गाड़ियों में घूम रहे हैं और अन्दर से श्रम विभाग में यूनियन व मालिकों के बीच चल रही वार्ता को तुड़वाने की कोशिश कर रहे हैं। 20 जून को इन दलालों की कारगुज़ारियों का पर्दाफाश हो गया और मज़दूरों ने इन्हें धक्के मारकर अपने हड़ताल स्थल से खदेड़ दिया।
जब इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके ये दलाल आन्दोलन को तोड़ने में असफल रहे तो उन्होंने चारों तरफ़ गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्वकारी कमेटी के नेता रघुराज और समिति की कानूनी सलाहकार और बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़ी कार्यकर्ता शिवानी के ख़ि‍लाफ़ एक घटिया कुत्साप्रचार वाला मेल भेजना शुरू किया है। इस मेल में इन दलालों ने दावा किया है कि रघुराज एनजीओ और भाजपा का दलाल एक छुटभैया लम्पट है, धन्धेबाज़ है, बिका हुआ है, मालिकों से पैसे खाता है और बिगुल मज़दूर दस्ता किताबें छापने का काम करता है। अगर ऐसा ही है तो इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके ये दलाल वापस मज़दूरों के बीच क्यों नहीं आते? ये आन्दोलन से भाग क्यों खड़े हुए? इसके दलालों को मज़दूरों ने थप्पड़ जड़कर भगा क्यों दिया? इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के दलाल दावा करते हैं कि बिगुल मज़दूर दस्ताके लोगों ने पुलिस की मदद से उन्हें बाहर निकलवा दिया, तो वे यह क्यों नहीं बताते कि तब वहाँ मौजूद सैंकड़ों मज़दूर चुप क्यों रहे? ये सच क्यों नहीं बताते कि स्वयं गरम रोला मज़दूरों ने इन दलालों को पीटा और फिर दौड़ा कर बाहर खदेड़ दिया था? ये सारे सवाल ही इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके दलालों की असलियत को साफ़ करता है। इससे पहले भी यह संगठन अन्य संगठनों के प्रति कुत्साप्रचार की राजनीति करता रहा है और आज ये वही आरोप लगाने का प्रयास कर रहा है जो आरोप कई संदिग्ध तत्व, मज़दूर आन्दोलन के भगोड़े और ग़द्दार लम्बे समय से लगा रहे हैं, लेकिन वे बिगुल मज़दूर दस्ताऔर गरम रोला मज़दूर एकता समितिका कुछ नहीं बिगाड़ पाये। इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के दलालों ने प्रचार किया है कि गरम रोला मज़दूर आन्दोलन असफल हो चुका है और अब वह एक शर्मनाक समझौते का इन्तज़ार कर रहा है। यह संघर्षरत मज़दूरों का अपमान है जो अभी भी तमाम मुश्किलों, गुण्डों और दलालों के बावजूद अपनी सामूहिक रसोई चलाते हुए हड़ताल में टिके हुए हैं; ये उन मज़दूरों के साहस का अपमान है जिन्होंने 26 जून को ही जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन कर शासन-प्रशासन को हिला दिया; ये उन मज़दूरों के हौसले की तौहीन है जो हर रोज़ वज़ीरपुर के राजा पार्क में एकत्र हो हड़ताल को जारी रखने की शपथ ले रहे हैं और लड़ रहे हैं। इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के दलालों ने अपनी बौखलाहट में पतन की सभी हदें पार कर दी हैं। चूँकि वज़ीरपुर के संघर्षरत गरम रोला मज़दूरों ने इन दलालों को आन्दोलन से मार भगाया इसलिए अब वे मज़दूरों को ही थका हुए और शर्मनाक समझौते का इन्तज़ार करने वाला बता रहे हैं और उनके नेतृत्व को गालियाँ दे रहे हैं।
हड़ताल जीतने के करीब गरम रोला मज़दूरों के संगठन गरम रोला मज़दूर एकता समितिने इस हड़ताल में एक नया प्रयोग किया है जिसमें कि मज़दूरों ने सामूहिक नेतृत्व, सामूहिक निर्णय, सामुदायिक रसोई, शिक्षा सहायता मण्डल आदि जैसे नायाब प्रयोग किये हैं। गरम रोला मज़दूर एकता समिति ने अपने ब्लॉग पर ही स्पष्ट लिखा है कि यह संगठन चुनावी पार्टियों से जुड़ी ट्रेड यूनियनों, एनजीओ और फण्डिंग एजेंसियों का बहिष्कार करता है और उनसे किसी भी प्रकार के सहयोग लेने के ख़ि‍लाफ़ है (http://garamrolla.blogspot.in/)। गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्वकारी समिति के लोगों ने 26 जून को जन्तर-मन्तर पर हुई अपनी विशाल जनसभा में भी बार-बार बताया था कि स्वयंसेवी संगठन साम्राज्यवादी एजेण्ट हैं और उन्हें गरम रोला मज़दूरों के आन्दोलन में कतई नहीं घुसने दिया जायेगा और न ही सत्ता वर्ग की दलाल ट्रेड यूनियनों को आन्दोलन में घुसने दिया जायेगा। इसके बावजूद इंक़लाबी मज़दूर केन्द्रके हरीश ने अपनी मेल में गरम रोला मज़दूर एकता समितिऔर बिगुल मज़दूर दस्ताके विरुद्ध घटिया आरोप लगाये हैं। यह हरीश वही व्यक्ति है जो कि लेबर इंस्पेक्टर की गाड़ी में घूम रहा था और उसके फोन पर गुपचुप षड्यन्त्र करके मज़दूरों और मालिकों के बीच की वार्ता को तोड़ने का प्रयास कर रहा था! आज ये दलाल लोग रघुराज व गरम रोला मज़दूर एकता समिति के अन्य नेतृत्वकारी साथियों को घूसखोर, लम्पट और दलाल करार दे रहे है, जबकि अभी एक सप्ताह पहले ही ये बार-बार रघुराज के पास हाथ-पाँव जोड़ रहे थे कि उन्हें भी हड़ताल के मंच से बोलने दिया जाय! अब ये ग़द्दार दावा कर रहे हैं कि इन्होंने रघुराज से वित्तीय पारदर्शिता और एनजीओ पर संघर्ष चलाया था जबकि ऐसा कुछ कभी हुआ ही नहीं था, क्योंकि अगर ऐसा होता तो इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के कार्यकर्ता 6 जून की हड़ताल के बाद से रघुराज और सनी के, जो कि यूनियन की लीडिंग कमेटी के सदस्य हैं, आगे-पीछे क्यों घूम रहे थे?
दरअसल बात यह है कि इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र अपने बेनक़ाब हो जाने और अपनी चरित्र के नंगे हो जाने के कारण बौखलाया हुआ है और इसीलिए एक जारी आन्दोलन के ख़िलाफ़ चारों तरफ़ मेल भेजकर प्रचार कर रहा है। चूँकि मज़दूरों ने इन दलालों को अपने आन्दोलन से पीटकर और बेइज़्ज़त करके निकाल बाहर किया इसलिए अब अपनी खुन्नस में ये निकृष्ट कोटि के प्रचार पर आमादा हो गये हैं और गरम रोला मज़दूर आन्दोलन के प्रमुख नेताओं रघुराज, सनी, शिवानी और इसमें सहयोग कर रहे संगठन बिगुल मज़दूर दस्ताके ख़िलाफ़ कुत्सा-प्रचार कर रहे हैं। इस प्रचार की सच्चाई जानने के लिए कोई भी वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों से सीधे सम्पर्क करके इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के बारे में पूछ सकता है, उसे स्वयं ही मज़दूर इनके चरित्र के बारे में बता देंगे।
यह मेल किसी सफ़ाई के लिए नहीं भेजा जा रहा है क्योंकि 27 जून यानी कि आज ही श्रम कार्यालय में वार्ता जारी है और मज़दूर आन्दोलन विजय के करीब है। हमें सफ़ाई देने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह मेल इसलिए भेजा जा रहा है कि ऐसे दलाल संगठनों के ख़िलाफ़ हम सभी साथियों को आगाह कर सकें। हमें कहीं भी इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र जैसे संगठनों को घुसने नहीं देना चाहिए क्योंकि ये दीमक की तरह भीतर से पूरे संघर्ष को खा जाते हैं। वज़ीरपुर के मज़दूर आन्दोलन ने अपनी उन्नत राजनीतिक चेतना के कारण इनकी दाल नहीं गलने दी। लेकिन ऐसे संगठन कई बार अपनी कुत्सित कार्रवाइयों में कामयाब भी हो जाते हैं। इसलिए हमें सावधान रहना होगा और मज़दूर आन्दोलन का दरवाज़ा ऐसे षड्यन्त्रकारियों के ख़िलाफ़ बन्द करना होगा।
जारीकर्ताः
रघुराज, सनी (सदस्य, नेतृत्वकारी समिति, गरम रोला मज़दूर एकता समिति)
शिवानी (कानूनी सलाहकार, गरम रोला मज़दूर एकता समिति)




Thursday, 26 June 2014

Protest Demonstration by Wazirpur Hot Rolling Steel Plant Workers at Jantar Mantar


Protest Demonstration by Wazirpur Hot Rolling Steel Plant Workers at Jantar Mantar
Workers of hot rolling steel plants organized as Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti have been on strike from 6th june demanding payment of minimum wage, eight hours shifts, ESI and PF facilities, all government holidays and extra payment for overtime work. But after 20 days of strike when their demands were not met , a large protest demonstration was carried out at Jantar Mantar. 
Under the banner of Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti A march of about 500 workers was carried out from Jantar Mantar to Sansad Marg, and there the workers gathered near Labour Ministry Department and carried their sabha peacefully. Addressing the gathering Sunny, a member of Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti said that we have been on strike since 6th june demanding our rights but instead of taking strict step against factory owners , the labour inspector is only playing a role of silent spectator. And it is therefore that, we are here at Jantar Mantar protesting and now we will not remain silent anymore to this exploitation. Shivani, the legal advisor of Samiti said that DLC, after hearing the news of protest demonstration at Jantar Mantar, is now under pressure and that it is our unity which has brought us this close to our victory. 
Various organizations such as Bigul Mazdoor Dasta, Pragtishil Cement Sangh , Karawal Nagar Mazdor Union also joined the protest march. Lata, from Bigul Mazdor Dasta said that workers must carry out their strike till the demands are not met and that Bigul Mazdor Dasta will support them and whatever financial help is needed we will contribute for it. 
Then a delegation of 5 people submitted the memorandum in PM Office and Labour Ministry Department.
The protest finished with Raghuraj addressing workers that memorandum has been received by Labour Ministry and we will continue our strike in the Raja Park until our demands are met.

गरम रोला कारखाने के मज़दूरों का जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन


गरम रोला कारखाने के मज़दूरों का जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन
आज वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के गरम रोला कारखाने के मज़दूरों ने जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन किया। जन्तर-मन्तर से संसद मार्ग तक 500 की संख्या में मज़दूरों ने रैली निकाली और श्रम मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को अपना ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि पिछले बीस दिनों से गरम रोला कारखाने के मज़दूर गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में अपनी माँगों को लेकर हड़ताल पर हैं। गरम रोला एकता समिति के रघुराज ने बताया कि वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में सरेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन होता है। लेबर कोर्ट पास में ही नीमड़ी काॅलोनी में है लेकिन ठीक उनकी नाक के नीचे मज़दूरों का शोषण बदस्तूर जारी है। इसलिए मज़दूर इन कारखानों में श्रम कानूनों को लागू करवाने की अपनी माँग को लेकर हड़ताल पर हैं। वजीरपुर का यह वही औद्योगिक क्षेत्र है जहाँ लोहे को पिघला कर स्टेनलेस स्टील बनायी जाती है। बेहद खतरनाक और जोखिम भरे माहौल में मज़दूरों को बारह से चौदह घण्टे खटना पड़ता है। यहाँ न तो कोई न्यूनतम मज़दूरी दी जाती है और न ही किसी तरह की कोई सुरक्षा है। आए दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं। जन्तर मन्तर पर सभा के दौरान गरम रोला मज़दूर एकता समिति के सनी ने कहा कि जबतक हमारी माँगें मानी नहीं जातीं हम आन्दोलनरत रहेंगे और आज ज्ञापन सौंपने के बाद भी अगर सुनवाई नहीं हुई तो बड़ी संख्या में जन्तर मन्तर पर फिर आयेंगे। आज विभिन्न संगठनों ने हड़ताल को समर्थन दिया जिनमें दक्षिणी दिल्ली बिगुल मज़दूर दस्ता, उत्तर पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन, करावल नगर मज़दूर यूनियन, प्रगतिशील सीमेण्ट संघ छत्तीसगढ़ प्रमुख थे।

Wednesday, 25 June 2014

हड़ताल का 20वां दिन, हड़ताली मज़दूरों को मिल रहा देशभर से समर्थन

हड़ताल का 20वां दिन, हड़ताली मज़दूरों को मिल रहा देशभर से समर्थन
आज हड़ताल का 20वां दिन था और मज़दूर अभी तक उसी जोश के साथ अपनी माँगो को लेकर मैदान में डटे हुए हैं। गरम रोला मजदूर एकता समिति के सनी ने आज की वार्ता के बारे में बताते हुए कहा की आज 4 बजे डी. एल. सी दफ्तर में वार्ता बुलाई गयी थी जिसमे समिति की तरफ से कमेटी के सदस्य व सभी 23 फैक्टरियों से एक- एक मज़दूर गये पर वार्ता बेनतीजा रही। आगे समिति की क़ानूनी सलाहकार शिवानी ने कहा कि क़ानूनी फैसला हमारे हक़ में है, बस हमें इसी तरह डटे रहना होगा। फिर समिति के रघुराज ने मज़दूरों को सम्‍बोधित करते हुए कहा कि चाहे कल हमें जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने ही क्यों न जाना पड़े पर जब तक हमारी माँगे पूरी नहीं होती हैं तब तक हम लोग इसी तरह डटे रहेंगे। गौरतलब है कि हड़ताली मज़दूरों के लिए अब सामूदायिक रसोई भी चलाई जा रही है जिसके लिए देशभर से लोग आर्थिक सहायता कर रहे हैं व आसपास के लोग राशन का सहयोग भी कर रहे हैं। इस बीच लखनऊ  के बिगुल मज़दूर दस्ता के साथियों ने  8000 रू., बिगुल मज़दूर दस्‍ता पंजाब के साथियों ने 2000 रू., मनाली चक्रवर्ती ने 5000 रू, हैदराबाद से बापूजी ने 5000 रू. व दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के प्रो. प्रभु महापात्रा ने भी हड़ताली मज़दूरों के लिए हड़ताल कोष में आर्थिक सहयोग किया व मालिकों द्वारा मज़दूरों को भुख से तोड़ने की रणनीति को विफल करने के लिए सामुदायिक रसोई को लगातार चलाते रहने को कहा। बहुत सारे अन्‍य लोगों ने भी हड़ताल कोष में अपना आर्थिक सहयोग दिया है। 
वार्ता के असफल रहने के मद्देनजर कल यानि 26 जून को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया जायेगा व इस अन्‍धे बहरे प्रशासन के कानों तक अपनी बातें पहूँचायी जायेगी। 

Monday, 23 June 2014

हड़ताल का 19 वाँ दिन

 हड़ताल का 19 वाँ दिन
आज वज़ीरपुर में हड़ताल का 19 वाँ दिन था। सभा में गरम रोला मज़दूर एकता समिति के सनी ने कल 4 फैक्ट्री मालिको के साथ हुई वार्ता के बारे में बताते हुए कहा कि जैसा कि कल मज़दूरों से आम राय लेकर यह फैसला किया गया था कि यदि ये 4 मालिक समझौते के लिए तैयार हो जाते है, तो उन फैक्टरियों में काम चालू कर दिया जायेगा, जिस कारण अन्य मालिको पर भी दवाब बनेगा और वे समझौते के लिए जल्दी ही राज़ी होने को मजबूर हो जायेंगे। पर वार्ता से यह बात निकली है कि कल यानि 25 जून को सभी 23 फैक्ट्री मालिकों ने समझोते के लिए वार्ता बुलाई है, और यह हमारी एकजुटता के बल पर ही संभव हो पाया है। फिर सभा को आगे बढ़ाते हुए समिति के ही एक सदस्य रामप्रीत ने काम के घंटे 8 व न्यूनतम वेतन, ई. एस. आई , पी.एफ. का महत्व बताते हुए कहा कि किस प्रकार हमारे ही पुरखो ने इन हकों को ह‍ासिल करने के लिए कितना खून बहाया है । सामूहिक रसोई में सहभोज के बाद मज़दूरों ने आगे की योजना पर चर्चा की। अन्त में समिति के रघुराज ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा कि अगर इस वार्ता में मालिक पक्ष हमारे शर्तों पर समझौते के लिए राज़ी नहीं होता है, तब 26 जून को जंतर मंतर पर प्रदर्शन का कॉल दिया जायेगा।

हड़ताल का अठारहवाँ दिन

हड़ताल का अठारहवाँ दिन
आज वजीरपुर में गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में चल रही हड़ताल का अठारहवाँ दिन था। रोज की तरह आज भी राजा पार्क में सभा की शुरुआत ‘जारी है हड़ताल’ गीत से हुई। सभा में अपनी बात रखते हुए गरम रोला एकता समिति के रघुराज ने कहा कि यह लड़ाई हमारे आत्मसम्मान की लड़ाई है। हम मालिकों को बता देंगे कि की हम लड़ने का माद्दा रखते हैं। सिर झुकाकर गुलामों की तरह खटने नहीं जायेंगे। अपना हक़ लेकर रहेंगे। आज करावल नगर मज़दूर यूनियन ने वजीरपुर के मज़दूरों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया। करावल नगर से आयीं बादाम मज़दूर रंजू देवी ने कहा कि हमें अपनी एकता हर हाल में बनाये रखनी होगी तभी इन मालिकों को झुकाया जा सकता है। दिल्ली कामगार यूनियन के नवीन ने अपनी बात में कहा कि  मालिक कई तरह की चालें चलकर हमें तौलने की कोशिश कर रहा है, हम भी उसे यह बता देंगे कि तौला बाट और बटखरे को जाता है पहाड़ को नहीं। हमारी एकजुटता उनके हर हथकंडे को नाकाम कर देगी। गरम रोला एकता समिति के सनी ने बताया कि आज चार फैक्ट्री मालिकों ने समिति को वार्ता के लिए बुलाया है। यह संकेत है कि मालिक झुकेंगे। सामूहिक रसोई में सहभोज के बाद मज़दूरों ने आगे की योजना पर चर्चा की। 

Sunday, 22 June 2014

सत्रहवें दिन भी जारी है हडताल ! मज़दूरों ने चलाया सामूहिक भोजनालय

जारी है हडताल ! मज़दूरों ने चलाया सामूहिक भोजनालय
दिल्‍ली, 22 जून। राजधानी दिल्ली के वजीरपुर औधोगिक क्षेत्र में चल रही गरम रोला मजदूरों की हडताल का आज 17वां दिन था।"गरम रोला मजदूर एकता समिति" के बैनर तले चल रही यह हडताल न्युनतम मजदूरी,ई एस आई,पी एफ जैसे संविधान प्रदत्त अधिकारों को लागू करवाने को लेकर चल रही है।विगत 17 दिनो से मजदूर चिलचिलाती धूप और भयानक गर्मी में भी इसे चला रहे हैं।आज समिति के संयोजक रघुराज ने अपनी बात रखते हुये कहा कि मालिकों की तमाम गीदड भभकियों,प्रलोभनों के बावजूद मजदूर डटे हैं जो अपने आप में एक मिसाल है वहीं समिति की कानूनी सलाहकार शिवानी ने कहा कि मालिको मे खुद ही फूट पड चुकी है तथा अब वे वेतन बढोत्तरी की मांग पर तैयार हो रहे है परन्तु हडताल के समय के कार्यदिवसों के भुगतान को मनाकर रहे हैं लेकिन जब तक यह मांग नही मानी जाती हमें अपने संघर्ष को जारी रखना होगा।नेतृत्व के साथी सनी ने मजदूर सभा को संबोधित करते हुये कहा कि मालिकों की मजदूरों को संघर्ष में लम्बे समय तक थका कर उन्हे भूखे रखकर तोडने की योजना अब कारगर नही होगी।आज सुबह से ही हडताल स्थल पर मजदूरों की सामूहिक रसोई की शुरूआत मालिको को हैरत में डाल रही थी।मजदूर बस्तियों, आन्‍दोलन के समर्थको शुभचिन्तको से जुटाये गये सहयोग के दम पर हडताली मजदूरों की रसोई का संचालन किया जा रहा है।पूरे दिन मालिकों के दल्लो,दलाल ट्रेड युनियनो के नेता कानाफूसी के लिये आते रहे लेकिन मजदूरों ने इसका जवाब अपनी एकजुटता से दिया।ज्ञात हो कि बिगुल मजदूर दस्ता की हरियाणा ईकाई के साथी भी तकरीबन 30 की संख्‍या मे आन्दोलन को समर्थन देने पहुँचे जिसने हडताली मजदूरों के हौसले मे इजाफा किया।बिगुल के साथियों ने हडताल कोष में 3000 रू. का सहयोग भी तथा सामूहिक रसोई हेतु राशन भी दिया।आज की सभा का समापन गोरख पांडे की कविता "हिटलर के तम्बू में" से किया गया।अन्त में सभी मजदूरों ने मजदूर रसोई में सामूहिक भोजन करके आगे की योजना पर चर्चा की।

Saturday, 21 June 2014

वज़ीरपुर के गरम रोला के मज़दूरों की जुझारू हड़ताल का 16वां दिन।


वज़ीरपुर के गरम रोला के मज़दूरों की जुझारू हड़ताल का 16वां दिन।
गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में आज वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों की हड़ताल का 16वां दिन था। आज मज़दूरों ने अपनी सामूहिक रसोई की शुरुआत की, जिसमे सभी मज़दूरों ने मिलकर अपने साथियों के लिए खाना बनाया और मालिको के इस भ्रम को तोड़ दिया कि मज़दूर ज़्यादा दिनों तक अपनी हड़ताल नहीं चला पाएंगे। मज़दूरों की पिछले 16 दिनों से चल रही यह हड़ताल उनकी जायज़ माँगो और हक़ की लड़ाई हैं जिसे मज़दूर तब तक लड़ते रहेंगे जब तक उन्हें उनका हक़ नहीं मिल जाता। गरम रोला मज़दूर समिति के रघुराज ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ेगी तो मज़दूर एक टाइम की बजाय सुबह और शाम दोनों समय अपनी सामूहिक रसोई चलाएंगे लेकिन अपनी लड़ाई को कमज़ोर नहीं होने देंगे। गरम रोला मज़दूर समिति की शिवानी ने बताया की मज़दूरों के इस जुझारू संघर्ष के चलते श्रम विभाग भी मज़दूरों के हर कदम पर नज़र जमाये हुआ हैं और इसी दबाव के कारण श्रम विभाग ने मालिकों को चालान भी भिजवा दिए हैं। मज़दूर बिगुल के संपादक अभिनव ने सभा में कुछ सुझाव रखते हुए मज़दूरों से कहा कि उन्हें अपनी इस हड़ताल की पाठशाला से अपनी लड़ाई के ज़रूरी सबक याद रखने चाहिए और इसी तरह एकजुट हो कर अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते रहना चाहिए।

Friday, 20 June 2014

हज़ारों मज़दूरों ने निकाली विशाल रैली, तोड़-फोड़ करने वाले तत्वोंं को खदेड़ा, और की सामुदायिक रसोई की शुरुआत की घोषणा


गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में गरम रोला मज़दूरों की हड़ताल का 15वां दिन
हज़ारों मज़दूरों ने निकाली विशाल रैली, तोड़-फोड़ करने वाले तत्वोंं को खदेड़ा, और की सामुदायिक रसोई की शुरुआत की घोषणा

आज दिनांक 20 जून 2014 को, गरम रोला मजदूर एकता समिति के नेतृत्‍व में जारी हड़ताल के 15वें दिन करीब 3 हज़ार मजदूरों ने श्रीराम चौक पर सुबह 9 बजे इकट्ठा होकर पूरे वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में रैली निकाल कर अपनी एकजुटता और जुझारूपन का परिचय दिया| रैली में लगभग 3000 मज़दूरों ने भाग लिया| इनमें गरम रोला एवं ठंडा रोला में काम करने वाले मज़दूर, तपाई का काम करने वाले मज़दूर और तेजाब का काम करने वाले सभी मज़दूर शामिल थे| इसके बाद, प्रत्येक दिन की भांति सभी मजदूर वजीरपुर के राजा पार्क में आगे की सभा चलाने के लिए एकत्रित हुए जहाँ हड़ताल में शामिल सभी मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का दृढ़ निश्चय लिया|
रैली का वीडियो 

An Appeal to all justice-loving citizens and workers

An Appeal to all justice-loving citizens and workers
Your help is needed for the valiant struggle of workers!

Friends!
You might be aware that the steel workers working in the hot rolling steel plants in the Wazirpur industrial area located at the heart of Delhi are on strike for the last 15 days under the leadership of 'Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti'. These workers work under perilous conditions and for a long time they have been demanding their legal rights such as minimum wages, ESI, PF, etc. The hot rolling factories in the Wazirpur area have been shut down due to courageous strike of these workers. The labour department has been aware about the violation of the labour laws in these factories, but it has started taking some actions only after the pressure being exerted in the wake of this strike.